Capital of gupta empire :गुप्त साम्राज्य की राजधानी

हमारे भारत देश का इतिहास बहुत पुराना है | और सबसे पुराना है यहाँ के राजवंशो का इतिहास | भारत में मौर्य साम्राज्य के खत्म होने के बाद उत्तर भारत में एक वंश का उदय हुआ | जिसका नाम था गुप्त वंश या गुप्त साम्राज्य | क्या आप जानते है की Capital of Gupta Empire क्या थी? और इस राज्य वंश की स्थापना किसने की थी | आज के इस आर्टिकल में हम गुप्त साम्राज्य के इतिहास को जानेंगे |

Capital of Gupta Empire:

गुप्त साम्राज्य की स्थापना श्री गुप्त द्वारा की गयी थी | जब महाभारत और रामायण का कल ख़त्म हुआ तभी से ही गुप्त काल की शुरुआत मानी जाती है | गुप्त का उदय प्रयाग के पास कौशाम्बी में हुआ था | गुप्त साम्राज्य ने लगभग 300 सालो तक शासन किया | गुप्त वंश के शासको ने आपने राज्य का चिन्ह गरुण को बनया |

“क्या आप जानते हैं कि गुप्त साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र ने कभी पूरे भारत को सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से प्रभावित किया था?” अगर आपको लगता है कि आज का दिल्ली या मुंबई ही भारत के गौरव का प्रतीक है, तो पाटलिपुत्र का इतिहास आपको हैरान कर देगा! गुप्त साम्राज्य (Gupta Empire) के स्वर्णिम युग में इसकी राजधानी (Capital of Gupta Empire) न केवल शासन का केंद्र थी, बल्कि विज्ञान, कला और व्यापार की भी धुरी थी। इस आर्टिकल में जानिए, कैसे पाटलिपुत्र ने भारत को “स्वर्ण युग” दिया और आज भी उसके अवशेष क्या कहानियाँ सुनाते हैं!

गुप्त साम्राज्य की राजधानी: पाटलिपुत्र का स्वर्णिम काल

गुप्त वंश के उत्कर्ष (320-550 ई.) में पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) ने एक वैश्विक महानगर का रूप ले लिया था। डॉ. अमिताभ घोष, पुरातत्वविद्, बताते हैं: पाटलिपुत्र की स्थापना मौर्य काल में हुई, लेकिन गुप्त शासकों ने इसे इतना विकसित किया कि चीनी यात्री फाहियान ने इसे ‘पूर्व का रोम’ कहा!”

 “अगर आप पटना घूमने जाएँ, तो कुम्हरार के पुराने खंडहर देखना न भूलें—यहीं था गुप्तकालीन पाटलिपुत्र का प्रसिद्ध राजभवन!”

पाटलिपुत्र की विशेषताएँ :

  • रणनीतिक स्थान: गंगा और सोन नदी के संगम पर बसे होने से व्यापार और सैन्य सुरक्षा में फायदा।
  • वास्तुकला: लकड़ी के महल, स्तूप, और जल निकासी की अद्भुत व्यवस्था।
  • शिक्षा केंद्र: नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के पूर्ववर्ती संस्थान यहीं फले-फूले।

राजधानी पाटलिपुत्र का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व

अगर गुप्त साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र न होती, तो आज भारतीय कला में अजंता की चित्रकारी या कालिदास की रचनाएँ अधूरी होतीं!

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आर्थिक समृद्धि:

  • सोने के सिक्के: ‘दीनार’ सिक्कों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया।
  • व्यापार मार्ग: पाटलिपुत्र रेशम मार्ग और समुद्री मार्गों से जुड़ा था—यहाँ से रोम तक मसाले जाते थे!

सांस्कृतिक विरासत :

  • कला और साहित्य: समुद्रगुप्त को “कविराज” कहा जाता था; उनके दरबार में कालिदास जैसे विद्वान रहते थे।
  • धार्मिक सहिष्णुता: हिंदू, बौद्ध, और जैन मंदिर साथ-साथ फले-फूले।

गुप्त साम्राज्य के उत्थान की 3 गुप्त रणनीतियाँ (Tips)

  1. विवाह संधि (Political Marriages): चंद्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी से शादी कर पाटलिपुत्र पर अधिकार जमाया।
  2. स्थानीय स्वायत्तता: गुप्त शासकों ने जीते हुए राज्यों को कर देने भर से संतुष्ट रखा—यही था उनका “सॉफ्ट पावर”!
  3. सैन्य नवाचार: घुड़सवार सेना और धनुर्धरों की विशेष टुकड़ियाँ बनाईं।

समुद्रगुप्त की ‘दिग्विजय

समुद्रगुप्त ने पाटलिपुत्र से निकलकर पूरे उत्तर भारत पर विजय पाई। इलाहाबाद स्तंभ के शिलालेख में उनकी 100 लड़ाइयों का वर्णन है—एक “अजेय” नेता की मिसाल!

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

गुप्त साम्राज्य की राजधानी क्या थी?

पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना), जो गंगा नदी के किनारे बसा था।

पाटलिपुत्र को राजधानी क्यों चुना गया?

रणनीतिक स्थान, समृद्ध व्यापार, और पूर्ववर्ती मौर्य साम्राज्य की विरासत के कारण।

क्या पाटलिपुत्र के अवशेष आज देखे जा सकते हैं?

हाँ! पटना के कुम्हरार में मौर्य-गुप्त काल के महल के खंडहर और पटना संग्रहालय में कलाकृतियाँ मौजूद हैं।

“क्या आपने पटना के ऐतिहासिक स्थल देखे हैं? हमें कमेंट में बताएँ! अगर आपको गुप्त साम्राज्य का इतिहास पसंद आया, भारत पर अरबों का आक्रमण [मध्यकालीन भारत] को भी पढ़ें।

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