Swar Sandhi Ke Bhed { स्वर संधि के भेद, परिभाषा और उदाहरण }

Swar Sandhi Ke Bhed को जानने से पहले हम लोग जान लेते है की संधि क्या है ? और संधि के कितने प्रकार होते है? संधि को बनने के नियम क्या क्या है ? ज्यादा फोकस हमरा स्वर पर रहेगा |  अगर आप इस पुरे आर्टिकल को पढ़ते है तो आप इन सब चीजों को आसानी से समझ जायेंगे | हिंदी व्याकरण संधि के बिना पूर्ण रूप से अधूरा रहता है | हमें बढे बढे अथवा छोटे शब्दों को भी समझने के लिए संधि का ज्ञान होना जरुरी है | अगर आपको संधि की जानकारी नहीं है तो आप हिंदी भाषा को आसानी से नहीं समझ पाएंगे |

संधि का अर्थ

संधि का शाब्दिक अर्थ होता है “जोड़” | अर्थात दो शब्दों के मेल को संधि कहते है  | जैसे – विद्या+ आलाय= विद्यालय |

संधि के प्रकार

मुख्य रूप से संधि तीन प्रकार के होते है | जिसका शार्ट में ट्रिक दिया गया है |

  1. स्वर संधि                     दो स्वर मिलें                        स्वर परिवर्तन
  2. व्यंजन संधि                   स्वर + व्यंजन                   व्यंजन परिवर्तन
  3. विसर्ग संधि                   विसर्ग + कोई अक्षर         विसर्ग का रूप बदले

स्वर संधि क्या है

जब दो स्वर आपस में मिलते है , उनके मिलने पर जो विकार अथवा परिवर्तन होता है, उसे स्वर  संधि कहते हैं  |अर्थात जब स्वर के साथ स्वर का मेल होगा वहां पर स्वर संधि होगी | हिंदी भाषा में मुख्य रूप से 11 स्वर होते हैं | जब दो स्वर मिलते हैं तो उसेसे  जो संधि बनती है उसे स्वर संधि कहते हैं |

उदाहरण- 

  • विद्या+ आलय= विद्यालय
  • देव + आलय = देवालय
  • परम + अणु= परमाणु

इस लेख को भी पढ़े –समास के भेद उदहारण सहित-जाने सरल भाषा में

Swar Sandhi Ke Bhed

स्वर संधि के मुख्यत पाँच भेद होते है | जिनके नाम नीचे दिए गए है | आगे हम सभी को विस्तार से उदाहरण सहित समझेंगे |
(1) दीर्घ स्वर  संधि
(2) गुण स्वर  संधि
(3) वृद्धि स्वर  संधि
(4) यण स्वर  संधि
(5) अयादि स्वर संधि

आगे हम सब  Swar Sandhi Ke Bhed  को उदाहरण सहित समझेंगे साथ साथ संधि को बनने के नियमो को भी जानेंगे |

(1) दीर्घ स्वर  संधि

ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई, और ऊ हो जाते हैं । जब दो सजातीय स्वर आपस में मिलते है तो उनका दीर्घ हो जाता है | नीचे स्वर संधि के नियम और उनके उदाहरण दिए जा रहे है | आप इसको पढके आसानी से समझ सकते है |

नियम उदाहरण
अ + अ = आ सुरभि + अंजन = सुरभ्यंजन
जन + असुर = जनासुर
अ + आ = आ गृह + आचार = गृहाचार
जन + आत्मा = जनात्मा
आ + अ = आ वाचा + अर्थ = वाचार्थ
माता + अर्चना = मातार्चना
इ + इ = ई शक्ति + इश्वर = शक्तीश्वर
नदि + इंदु = नदींदु
इ + ई = ई संपत्ति + ईश = संपत्तीश
कवि + ईशा = कवीशा
ई + इ = ई देवी + इंद्र = देवींद्र
लक्ष्मी + इशान = लक्ष्मीशान
ई + ई = ई तुलसी + ईश = तुलसीश
गौरी + ईशान = गौरीशान
उ + उ = ऊ गुरु + उदय = गुरूदय
अधु + उन्नति = अधून्नति
उ + ऊ = ऊ शत्रु + ऊर्जा = शत्रूर्जा
गणु + ऊर्मि = गणूर्मि
ऊ + उ = ऊ भानु + उदय = भानूदय
धू + उत्पत्ति = धूत्पत्ति
ऊ + ऊ = ऊ वधू + ऊष्मा = वधूष्मा
भ्रू + ऊर्मि = भ्रूर्मि

 

(2) गुण स्वर  संधि

गुण स्वर संधि में अ या आ के साथ इ या ई जब आता है तो ‘ए’ बन जाता है और ऊ या ऊ आए तो दोनों के स्थान पर ‘ओ’ बन जाता है | और जब ‘ऋ’ आए तो ‘अर’ बन जाता है। नीचे इसके उदाहरण और नियम दिए गए है |

     नियम उदाहरण
अ + इ = ए नर + इंद्र = नरेंद्र
अ + ई = ए कमल + ईश = कमलेश
आ + इ = ए यथा + इष्ट = यथेष्ट
आ + ई = ए महा + ईश्वर = महेश्वर
अ + उ = ओ वन + उत्सव = वनोत्सव
अ + ऊ = ओ जल + ऊर्मि = जलोर्मि
आ + उ = ओ गंगा + उत्सव = गंगोत्सव
आ + ऊ = ओ दया + ऊर्मि = दयोर्मि
आ + ऋ = अर् राज + ऋषि = राजर्षि
आ + ऋ = अर् ब्रह्मा + ऋषि = ब्रह्मर्षि

 

(3) वृद्धि स्वर  संधि

वृद्धि स्वर संधि में अ या आ के साथ जब ए या ऐ आता है तो ‘ऐ’ हो जाता है | और जब ओ या औ आये तो “औ” बन जाता है। वृद्धि स्वर संधि के नियम और उदहारण निम्नलिखित प्रकार से दिए गए है |

नियम उदाहरण
+ ए = ऐ नव + एकता = नवैकता
अ + ऐ = ऐ मन + ऐक्य = मनैक्य
+ ए = ऐ प्रजा + एषणा = प्रजैषणा
आ + ऐ = ऐ भाषा + ऐश्वर्य = भैश्वर्य
अ + ओ = औ तप + ओज = तपौज
आ + ओ = औ दया + ओज = दयौज
अ + औ = औ बल + औदार्य = बलौदार्य
आ + औ = औ छाया + औषधि = छायौषधि

(4) यण स्वर  संधि

जब इ या ई के बाद कोई अन्य स्वर आता है तो इ या ई के स्थान पर ‘य’ हो जाता है और जब उ या ऊ के बाद कोई अन्य स्वर आता है तो, उ या ऊ का ‘व्’ तथा ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो, ऋ का “र ” हो जाता है।

पहचान-

  • इ, ई के स्थान पर य हो जाता है।
  • उ, ऊ के स्थान पर व हो जाता है।
  • ऋ के स्थान पर र हो जाता है।
नियम उदाहरण
इ / ई → य गिरि + ईश = गिरिश
मति + ईशा = मतिशा
रति + ईश्वर = रतिश्वर
उ / ऊ → व गुरु + उपदेश = गुरुपदेश
अनु + उदय = अन्वुदय
शिशु + उद्यान = शिश्वद्यान
ऋ → र पृथ्वी + ईश = पृथ्वीश
कर्म + ऋषि = कर्मर्षि
महा + ऋषि = महार्षि

 

(5) अयादि स्वर संधि

यह संधि Swar Sandhi Ke Bhed  का सबसे महत्वपूर्ण संधि है | इस संधि में ए या ऐ के बाद कोई अन्य स्वर आता है तो ए का ‘अय्’ तथा ऐ का ‘आय’ हो जाता है। यदि ओ या औ के बाद कोई अन्य स्वर आता है तो ओ का ‘अव्’ तथा औ का ‘आव’ हो जाता है।

नियम उदाहरण
ए + अ = अय् दे + अनुग्रह = दयनुग्रह
ऐ + अ = आय जै + अश्व = जयश्व
ऐ + इ = आयि पै + इला = पायिला
ओ + अ = अव् लो + अनुग्रह = लवनुग्रह
ओ + इ = अवि रो + इला = रविला
औ + अ = आव् गौ + अग्नि = गावग्नि
औ + इ = आवि कौ + इला = काविला
औ + उ = आवु सौ + उल्लास = सावुल्लास

 

स्वर संधि के 50 उदाहरण

नीचे आप लोगो को स्वर संधि के 50 उदाहरण दिए जा रहे है | जिसमे उस संधि का नाम और उसका नियम भी दिया गया है |

क्रमांक नियम उदाहरण संधि का नाम
1 अ + अ = आ राम + अवतार = रामावतार दीर्घ संधि
2 अ + आ = आ जन + आंदोलन = जनांदोलन दीर्घ संधि
3 आ + अ = आ माता + अर्चना = मातार्चना दीर्घ संधि
4 इ + इ = ई शक्ति + इंद्र = शक्तींद्र दीर्घ संधि
5 इ + ई = ई नदी + ईश = नदीश दीर्घ संधि
6 ई + इ = ई देवी + इंद्र = देवींद्र दीर्घ संधि
7 ई + ई = ई गौरी + ईश = गौरीश दीर्घ संधि
8 उ + उ = ऊ अनु + उपदेश = अनूपदेश दीर्घ संधि
9 उ + ऊ = ऊ शत्रु + ऊर्जा = शत्रूर्जा दीर्घ संधि
10 ऊ + उ = ऊ भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग दीर्घ संधि
11 अ + इ = ए नर + इंद्र = नरेंद्र गुण संधि
12 अ + ई = ए कमल + ईश = कमलेश गुण संधि
13 आ + इ = ए यथा + इष्ट = यथेष्ट गुण संधि
14 आ + ई = ए महा + ईश्वर = महेश्वर गुण संधि
15 अ + उ = ओ वन + उत्सव = वनोत्सव गुण संधि
16 अ + ऊ = ओ जल + ऊर्जा = जलोर्जा गुण संधि
17 आ + उ = ओ गंगा + उद्गम = गंगोद्गम गुण संधि
18 आ + ऊ = ओ दया + ऊर्जा = दयोर्जा गुण संधि
19 अ + ऋ = अर् राज + ऋषि = राजर्षि गुण संधि
20 आ + ऋ = अर् महा + ऋषि = महार्षि गुण संधि
21 इ + अ = य गिरि + अतिथि = गिर्यतिथि यण संधि
22 ई + अ = य योगी + अनुग्रह = योग्यनुग्रह यण संधि
23 उ + अ = व अनु + अनुग्रह = अन्वनुग्रह यण संधि
24 ऊ + अ = व भू + अर्पण = भुवर्पण यण संधि
25 ऋ + अ = र पितृ + अर्पण = पितरर्पण यण संधि
26 ए + अ = अय् चे + अन = चयन अयादि संधि
27 ऐ + अ = आय सै + अक = सायक अयादि संधि
28 ऐ + इ = आयि नै + इका = नायिका अयादि संधि
29 ओ + अ = अव् भो + अन = भवन अयादि संधि
30 ओ + इ = अवि भो + इष्य = भविष्य अयादि संधि
31 औ + अ = आव् पौ + अग्नि = पावग्नि अयादि संधि
32 औ + इ = आवि नौ + इका = नाविका अयादि संधि
33 औ + उ = आवु भौ + उल्लास = भावुल्लास अयादि संधि
34 अ + अ = आ अग्नि + अवतार = अग्नावतार दीर्घ संधि
35 अ + आ = आ विद्या + आलय = विद्यालय दीर्घ संधि
36 आ + अ = आ प्रजा + अधिप = प्रजाधिप दीर्घ संधि
37 इ + इ = ई मुनि + इंद्र = मुनींद्र दीर्घ संधि
38 उ + उ = ऊ गुरु + उपदेश = गुरूपदेश दीर्घ संधि
39 अ + उ = ओ जल + उष्ण = जलोष्ण गुण संधि
40 अ + ई = ए तप + ईश = तपेश गुण संधि
41 ऋ + अ = र मातृ + अध्ययन = मातरध्ययन यण संधि
42 ई + अ = य कांति + अनुपम = कांत्यनुपम यण संधि
43 ओ + इ = अवि लो + इला = लविला अयादि संधि
44 औ + अ = आव् गौ + अर्पण = गावर्पण अयादि संधि
45 ऐ + अ = आय वै + अवस्था = वायवस्था अयादि संधि
46 अ + ऐ = ऐ परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य वृद्धि संधि
47 आ + ए = ऐ सदा + एव = सदैव वृद्धि संधि
48 अ + ओ = औ परम + ओज = परमौज वृद्धि संधि
49 आ + ओ = औ महा + ओजस्वी = महौजस्वी वृद्धि संधि
50 अ + औ = औ वीर + औदार्य = वीरौदार्य वृद्धि संधि

 

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