आज के इस आर्टिकल में हम सब जानेगे की समास क्या होता है ? Samas Ke Bhed कितने होते है ? समास का अर्थ क्या होता है? समास-विग्रह किसे कहते है ? तथा साथ साथ Samas Ke Bhed के सभी उदहारण को भी देखेंगे | सबसे पहले हम जानेगे की समास क्या है?
विषय सूची
समास
समास का शाब्दिक अर्थ “संक्षेप (छोटा)” होता है |
दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों का ऐसा समूह जिसका कोई निश्चित अर्थ निकलता हो, समास कहलाता है | जैसे- हर+संभव= हरसंभव
समास-विग्रह
जुड़े हुए शब्दों को समास नियमो द्वारा तोडना समास-विग्रह कहलाता है | जैसे-
- धनहीन = धन से हीन
- जेबकतरा = जेब को कतरने वाला
समास के भेद [ Samas ke bhed ki Paribhasha]
अब हम सब जानेगे की samas ke kitne bhed hote hain | समास के मुख्यतः 6 भेद होते है, जिनका नीचे उदहारण सहित विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है |
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- द्युग समास
-
द्विगु समास
- कर्मधारय समास
- बहुब्रीहि समास
1- अव्ययीभाव समास
यह एक ऐसा समास है जिसका पूर्व पद प्रधान होता है |
पहचान- जिन शब्दों का पहला पद- अनु, अ,प्रति, भर, यथा, हर तथा समान शब्द हो वहा अव्ययीभाव समास होता है | जैसे-
- अनुकूल= अनु+कूल
- भरपेट= भर+पेट
- घर+घर= घर
2- तत्पुरुष समास
जिस समास का उत्तर पद प्रधान हो तथा कारक चिन्हों (कर्ता कारक और संबोधन कारक को छोड़कर) का प्रयोग किया गया हो वहा तत्पुरुष समास होता है | जैसे-
टिकटघर, धनहीन आदि |
तत्पुरुष समास के भेद– तत्पुरुष समास के निम्नलिखित भेद होते है जो इस प्रकार से है-
- कर्म तत्पुरुष समास
- करण तत्पुरुष समास
- सम्प्रदान तत्पुरुष समास
- अपादान तत्पुरुष समास
- अधिकरण तत्पुरुष समास
- सम्बन्ध तत्पुरुष समास
नोट- इस समास के बारे में विस्तार से जानने के पहले आपको कारक के बारे में जानना बेहद जरुरी है | यहाँ से पढ़े –क्या होते है कारक?
अब हम तत्पुरुष समास के सभी भेदों को एक- एक करके पढेंगे–
कर्म तत्पुरुष समास- जिस समास का समास-विग्रह करने पर “को” कारक चिन्ह आये वहा पर कर्म तत्पुरुष समास होता है | जैसे-
- शरणागत = शरण को अगत
- यशप्राप्त = यश को प्राप्त
करण तत्पुरुष समास- जिस समास का समास-विग्रह करने पर “से, के, द्वारा” कारक चिन्ह आये वहा पर करण तत्पुरुष समास होता है | जैसे-
- मनमानी = मन से मांगी
- मुहमांगी = मुह से मांगी
- रेखांकित = रेखा के द्वारा अंकित
- तुलसीकृत = तुलसी के द्वारा रचित
सम्प्रदान तत्पुरुष समास- जिस समास में समास-विग्रह करने पर कारक चिन्ह “ के लिए ” आता है वहा पर सम्प्रदान तत्पुरुष समास होता है | जैसे-
- सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह
- शयनकक्ष = शयन के लिए कक्ष
- रसोईघर = रसोई के लिए घर
- गुरुदक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा
अपादान तत्परुष समास- जिस समास में विग्रह करने पर “से (अलग होने के लिए)” चिन्ह का प्रयोग हो वहा अपादान तत्परुष समास होता है | जैसे-
- धनहीन = धन से हीन
- ऋणमुक्ति = ऋण से मुक्ति
- पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
- देशनिकाला = देश से निकाला
अधिकरण तत्परुष समास- जिस समास में विग्रह करने पर “में या पर” कारक चिन्ह आये वहा अधिकरण तत्परुष समास होता है | जैसे-
- आपबीती = आप पर बीती
- स्वर्गवास = स्वर्ग में वास
- धर्मवीर = धर्म में वीर
- आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
- ग्रामवास = ग्राम वास
सम्बन्ध तत्परुष समास- जिस समास में समास विग्रह करने पर “का,की,के या रा,री,रे” कारक चिन्ह आये वहा पर सम्बन्ध तत्परुष समास होता है | जैसे-
- राष्ट्रपति = राष्ट्र का पति
- राजपुत्र = राजा का पुत्र
- विश्वासपात्र = विश्वास का पात्र
- पवनचक्की = पवन की चक्की
परीक्षा में पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण तत्पुरुष समास के उदाहरण
नीचे 50 महत्वपूर्ण तत्पुरुष समास के उदाहरण दिए जा रहे है | अगर आप इन सभी उदहारण को सही से पढ़ लेते हो तो ये आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकते है | तत्पुरुष समास किसी भी परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण होते है |
- देशभक्त= देश के लिए भक्त
- धनहीन= धन से हीन
- राजपुत्र= राजा का पुत्र
- गंगाजल= गंगा का जल
- वनवासी= वन में वासी
- परलोकगत= परलोक को गत
- यथाशक्ति= शक्ति के अनुसार
- आत्मनिर्भर= आत्मा पर निर्भर
- दिनचर्या= दिन की चर्या
- राजधानी= राजा की धानी (मुख्य नगर)
- ग्रामवासी= ग्राम में वासी
- कर्मठ= कर्म में ठ
- अधिकारच्युत= अधिकार से च्युत
- विद्यालय= विद्या का आलय
- जलजन्तु= जल के जन्तु
- पथभ्रष्ट= पथ से भ्रष्ट
- दानशील= दान में शील
- कामदेव= काम का देव
- धर्मभ्रष्ट= धर्म से भ्रष्ट
- मृगतृष्णा= मृग की तृष्णा
- दुःखद= दुःख को देने वाला
- रसोईघर= रसोई के लिए घर
- मनचाहा= मन से चाहा
- अकालपीड़ित= अकाल से पीड़ित
- पुस्तकालय= पुस्तकों का आलय
- नरकगामी= नरक को गामी
- प्रेमपात्र= प्रेम का पात्र
- क्रोधाग्नि= क्रोध की अग्नि
- भयभीत= भय से भीत
- शोकाकुल= शोक से आकुल
- स्वर्गगामी= स्वर्ग को गामी
- मृत्युंजय= मृत्यु को जयने वाला
- वीरपुरुष= वीर है जो पुरुष
- कष्टसाध्य= कष्ट से साध्य
- आजन्म= जन्म से आ
- निस्सन्देह= संदेह से रहित
- अन्धकारमय= अन्धकार से मय
- युद्धभूमि= युद्ध की भूमि
- पापमुक्त= पाप से मुक्त
- स्वतंत्र= स्व (अपने) पर तंत्र
- दयालु= दया से युक्त
- कुशलक्षेम= कुशल और क्षेम
- अहिंसापरायण= अहिंसा में परायण
- वन्यजीव= वन के जीव
- निर्धन= धन से रहित
- आकाशवाणी= आकाश से वाणी
- नराधम= नरों में अधम
- स्वर्णकार= स्वर्ण का कार
- परोपकार= पर के लिए उपकार
- कामपीड़ित= काम से पीड़ित
इन उदाहरणों में पहला पद प्रधान होता है और दूसरा पद उसके साथ संबंध बताता है। तत्पुरुष समास में विभक्ति (कारक चिह्न) का लोप हो जाता है।
3-द्विगु समास
जिस समास का उत्तर पद प्रधान हो और पूर्व पद एक संख्यावाचक हो तो उस समस को दिवग समास कहते है | जैसे-
नौग्रह, पंचवटी, अठन्नी, चवन्नी, सोलहआना, बारहआना, आदि |
4- द्वन्द समास
जिस समास के दोनों पद प्रधान हो तथा दो शब्दों के बीच योजक चिन्ह लगा होता है, उसे द्वन्द समास कहते है | जैसे-
अन्दर-बाहर, रात-दिन, ग्यारह, धर्माधर्म आदि |
5- कर्मधारय समास
जिस समस में उत्तर पद प्रधान हो और साथ साथ कोई विशेषता बताई जाये वहा पर कर्मधारय समास होता है | जैसे-
मृगनयनी, नीलकमल, चरणकमल, महापुरुष आदि |
6- बहुब्रीहि समास
जिस समास में कोई भी पद प्रधान न हो बल्कि तीसरा अर्थ निकलता हो वहा पर बहुब्रीहि समास होता है | जैसे-
- दशानन = दश सिर है जिसके अर्थात रावण
- नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका अर्थात भगवन शिव
- गंगाधर = गंगा को धारण करने वाला अर्थात शिव
- चक्रपाणी = चक्र को धारण करने वाला अर्थात विष्णु
- लम्बोदर = लंबा है उदर जिसका अर्थात गणेश
हमने अभी तक समास क्या है? Samas Ke Bhed कितने होते है ? और समास के बारे में बहुत कुछ जाना | आइये कुछ और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते है-
- Kaal In Hindi [काल क्या है? काल के भेद, परिभाषा और उदहारण]
- संज्ञा की परिभाषा | संज्ञा के भेद सहित उदहारण [संज्ञा वाक्य के 10 उदाहरण]
- Kriya Ke Bhed:क्रिया किसे कहते है? [सम्बंधित उदाहरण ]
- वाक्य के भेद,अंग, अवयव और उदहारण [ vakya ke bhed ]
समास के भेद से संबंधित 10 FAQs (Frequently Asked Questions)
1.समास किसे कहते हैं?
दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों का ऐसा समूह जिसका कोई निश्चित अर्थ निकलता हो, समास कहलाता है | जैसे-
- हर+संभव= हरसंभव
- रसोईघर (रसोई + घर),
- माता-पिता (माता और पिता)
2.अव्ययीभाव समास क्या है? उदाहरण दीजिए?
जिस समास में पहला पद (अव्यय) प्रधान हो और समस्त पद अव्यय का काम करे, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। उदाहरण:
• यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार)
• आजीवन (जीवन भर)
3.तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?
जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो और पहले पद की विभक्ति (कारक चिह्न) लुप्त हो जाए, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। उदाहरण: • राजपुत्र (राजा का पुत्र) • धनहीन (धन से हीन)
4.द्वंद्व समास क्या है? उदाहरण दें?
जिस समास में दोनों पद प्रधान हों और उन्हें ‘और’, ‘या’, ‘एवं’ आदि से जोड़ा जा सके, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। उदाहरण: • माता-पिता (माता और पिता) • दाल-रोटी (दाल और रोटी)
5.बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?
जिस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि एक नया अर्थ निकलता है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। उदाहरण: • चक्रधर (चक्र को धारण करने वाला – विष्णु) • नीलकंठ (नीला कंठ वाला – शिव)
6.कर्मधारय समास क्या है?
कर्मधारय समास, तत्पुरुष समास का ही एक प्रकार है, जिसमें पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है। उदाहरण: • नवयुवक (नया + युवक) • महात्मा (महान + आत्मा)
7.द्विगु समास किसे कहते हैं?
जिस समास में संख्या या परिमाण बोधक शब्द प्रमुख हो, उसे द्विगु समास कहते हैं। उदाहरण: • त्रिभुवन (तीन भुवनों का समूह) • पंचतंत्र (पाँच तंत्रों का संग्रह)
8.समास-विग्रह क्या होता है?
समास में जुड़े शब्दों को अलग-अलग करके विभक्ति सहित पूर्ण रूप में लिखना समास-विग्रह कहलाता है। उदाहरण: • राजपुत्र → राजा का पुत्र • आकाशवाणी → आकाश से वाणी
9.समास के कितने भेद होते हैं?
समास के मुख्य 6 भेद होते हैं:
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- द्युग समास
-
द्विगु समास
- कर्मधारय समास
- बहुब्रीहि समास
10. समास और संधि में क्या अंतर है?
समास | संधि |
---|---|
दो या अधिक शब्दों का मेल होता है। | दो वर्णों का मेल होता है। |
जैसे – विद्यालय (विद्या + आलय) | जैसे – सूर्य + उदय = सूर्योदय |
इसमें शब्दों के बीच विभक्तियाँ लुप्त होती हैं। | इसमें वर्ण परिवर्तन होता है। |
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