[Motivational] Story In Hindi | ये कहानिया आपको सफल बना देंगी

आज के इस लेख  में आपको आठ ऐसी Motivational Story In Hindi कहानियो को बताएँगे  जो आपको आपको सफल बना देंगी  | अगर आप तनिक भी आपने लक्ष्य को लेकर हताश हो रहे है तो इन कहानियो को पढ़कर आप आपने अंदर आत्मविश्वास को जगा सकते है | पूरी कहानी को शुरू से अंत तक जरुर पढ़े आपको कुछ नया जरुर सीखने  को मिलेगा |

कहानी#1- ✍🏻खुद  पर विश्वास रखें✍🏻

   (Motivational Story In Hindi)   

 

Motivational Story In Hindiअमेरिका की बात है, एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा । उस पर बहुत कर्ज चढ़ गया, तमाम जमीन जायदाद गिरवी रखना पड़ी । दोस्तों ने भी मुंह फेर लिया, जाहिर हैं वह बहुत हताश था, कही से कोई राह नहीं सूझ रही थी, आशा की कोई किरण दिखाई न देती थी । एक दिन वह एक park में बैठा अपनी परिस्थितियो पर चिंता कर रहा था, तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे. कपड़ो से और चेहरे से वे काफी अमीर लग रहे थे । बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी । बुजुर्ग बोले -” चिंता मत करो. मेरा नाम John D. Rockefeller है । मैं तुम्हे नहीं जानता,पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो. इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ ।” फिर जेब से checkbook निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले, “नौजवान, आज से ठीक एक साल बाद हम ठीक इसी जगह मिलेंगे. तब तुम मेरा कर्ज चुका देना ।” इतना कहकर वो चले गए । युवक shocked था. Rockefeller तब america के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे । युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उसकी लगभग सारी मुश्किल हल हो गयी । उसके पैरो को पंख लग गये । घर पहुंचकर वह अपने कर्जो का हिसाब लगाने लगा । बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है । अचानक उसके मन में ख्याल आया । उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझपे भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ । यह ख्याल आते ही उसने चेक को संभाल कर रख लिया । उसने निश्चय कर लिया की पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा, पूरी मेहनत करेगा कि इस मुश्किल से निकल जाए । उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचे तो वो check use करेगा । उस दिन के बाद युवक ने खुद को झोंक दिया । बस एक ही धुन थी, किसी तरह सारे कर्ज चुकाकर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं । उसकी कोशिशे रंग लाने लगी. कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा । साल भर बाद तो वो पहले से भी अच्छी स्थिति में था ।

निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया । वह चेक लेकर Rockefeller की राह देख रहा था कि वे दूर से आते दिखे । जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से उनका अभिवादन किया । उनकी ओर चेक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोल ही था कि एक नर्स भागते हुए आई और झपट्टा मार कर वृद्ध को पकड़ लिया । युवक हैरान रह गया । नर्स बोली, “यह पागल बार बार पागलखाने से भाग जाता है और लोगो को जॉन डी . Rockefeller के रूप में check बाँटता फिरता हैं ।” अब वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान रह गया, जिस check के बल पर उसने अपना पूरा डूबता कारोबार फिर से खड़ा किया, वह फर्जी था । पर  यह बात जरुर साबित हुई कि वास्तविक जीत हमारे इरादे , हौसले और प्रयास में ही होती हैं । हम सभी यदि खुद पर विश्वास रखे तो यक़ीनन किसी भी असुविधा से, situation से निपट सकते हैं । 

कहानी#2- ✍🏻 लक्ष्य की प्राप्ति ✍🏻

       ( Life Changing Stories In Hindi )

Motivational Story In Hindi

एक लड़के ने एक बार एक बहुत ही धनवान व्यक्ति को देखकर धनवान बनने का निश्चय किया। वह धन कमाने के लिए कई दिनों तक मेहनत कर धन कमाने के पीछे पड़ा रहा और बहुत सारा पैसा कमा लिया। इसी बीच उसकी मुलाकात एक विद्वान से हो गई। विद्वान के ऐश्वर्य को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया और अब उसने विद्वान बंनने का निश्चय कर लिया और अगले ही दिन से धन कमाने को छोड़कर पढने-लिखने में लग गया। वह अभी अक्षर ज्ञान ही सिख पाया था, की इसी बीच उसकी मुलाकात एक संगीतज्ञ से हो गई। उसको संगीत में अधिक आकर्षण दिखाई दिया, इसीलिए उसी दिन से उसने पढाई बंद कर दी और संगीत सीखने में लग गया। इसी तरह काफी उम्र बित गई, न वह धनी हो सका ना विद्वान और ना ही एक अच्छा संगीतज्ञ बन पाया। तब उसे बड़ा दुख हुआ। एक दिन उसकी मुलाकात एक बहुत बड़े महात्मा से हुई। उसने महात्मन को अपने दुःख का कारण बताया। महात्मा ने उसकी परेशानी सुनी और मुस्कुराकर बोले, “बेटा, दुनिया बड़ी ही चिकनी है, जहाँ भी जाओगे कोई ना कोई आकर्षण ज़रूर दिखाई देगा। एक निश्चय कर लो और फिर जीते जी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हें सफलता की प्राप्ति अवश्य हो जाएगी, नहीं तो दुनियां के झमेलों में यूँ ही चक्कर खाते रहोगे। बार-बार रूचि बदलते रहने से कोई भी उन्नत्ति नहीं कर पाओगे।” युवक महात्मा की बात को समझ गया और एक लक्ष्य निश्चित कर उसी का अभ्यास करने लगा।

👉शिक्षा:-
 उपर्युक्तकहानी  से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि हम जिस भी कार्य को करें, पूरे तन और मन से से एकाग्रचित होकर करें, बार-बार इधर-उधर भटकने से बेहतर यही की एक जगह टिककर मेहनत की जाएं, तभी सफलता प्राप्त की जा सकती हैं। 

कहानी#3- ✍🏻परमात्मा हमेशा आपके साथ है✍🏻

      (Motivational Story In Hindi)

Motivational Story In Hindi

एक लड़के के माता-पिता उसे हर साल गर्मियों की छुट्टी में दादी के घर ले जाते थे, और वे दो हफ्ते बाद उसी ट्रेन से घर लौट आते। बचपन से ही हर साल ऐसा होता था। लड़का अब 13साल का हो जाता है…फिर एक दिन लड़का अपने माता-पिता से कहता है- अब मैं अब बड़ा हो गया हूँ, क्यों ना मैं इस साल अकेले -ही दादी के घर जाऊँ ??? बहुत बहस के बाद माता-पिता भी सहमत हो गये। अब सब लोग रेल्वे प्लेटफार्म पर खड़े हैं, और एक दूसरे का अभिवादन कर रहे हैं, जैसे ही खिड़की के पास खड़े होकर पिता बेटे को यात्रा के लिए कुछ टिप्स दे रहे होते हैं, वैसे ही लड़का कहता है-

मुझे पता है, आप पहले ही मुझे कई बार बता चुके हैं …!

ट्रेन छूटने वाली है और पिता फुसफुसाते हुए:

मेरे बेटे, अगर आपको अचानक डर लगे, तो यह आपके लिए है..!

और वह लड़के की जेब में कुछ डाल देते है।

अब लड़का बिल्कुल अकेला है, पहली बार अपने माता-पिता के बगैर ट्रेन में बैठा है…

वह खिड़की से रास्ते के दृश्यों को देखता हुआ यात्रा करता है | एक स्टेशन पर अचानक कुछ बदमाश ऊधम मचाते हुए प्रवेश करते हुए शोर मचाते हैं, जिसे देख बालक डर जाता है..उसे लगता है कि वह तो इस बार अकेला है। तभी उनमें से एक हुड़दंगी उसे घूरने लगता है |
अब वह लड़का और अधिक असहज महसूस करता है जिस कारण वह कुछ ज्यादा ही डर महसूस करने लगता है | वह अपना सिर नीचे कर सीट के एक कोने में झपकी लेने की कोशिश करता है, और अपनी बेबशी पर उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। उस समय वह अपने पिता को अपनी जेब में कुछ डालते हुए याद करता है। कांपते हाथ से वह कागज़ के इस टुकड़े को देखना चाहता है, उसने उसे खोला  बेटा, चिंता मत करो, मैं अगले डिब्बे में हूं! …

ऐसा ही जीवन में होता है …

जब ईश्वर ने हमें इस संसार में भेजा है तो उसने स्वयं ही हम सभी को एक पत्र देकर भेजा है, दुखी मत होना, तेरा ईश्वर तेरे साथ है। मेरे प्यारे मैं तेरी इस यात्रा मे तेरे साथ ही यात्रा कर रहा हूं, मैं पल-पल तेरे साथ हूँ ! तो बस जिंदगी मे कभी घबराइये मत, उदास मत होइये, उस पर विश्वास रखिये, हमारी यात्रा के दौरान भगवान हमेशा हमारे साथ हैं।

“सदैव प्रसन्न रहिये और याद रखिये-
जो प्राप्त है वो पर्याप्त है।
जिसका मन मस्त है उसके पास समस्त है।”

कहानी#4- ✍🏻अपनी क्षमता पहचानो✍🏻

(Motivational Story In Hindi)

Motivational Story In Hindi

एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था. वह कुछ काम-धाम नहीं करता था. बस दिन भर निठल्ला बैठकर सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाये. एक दिन वह यूं ही घूमते-घूमते आम के एक बाग़ में पहुँच गया. वहाँ रसीले आमों से लदे कई पेड़ थे. रसीले आम देख उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह एक पेड़ पर चढ़ गया. लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग़ का मालिक वहाँ आ पहुँचा. बाग़ के मालिक को देख आलसी आदमी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ। भागते-भागते वह गाँव में बाहर स्थित जंगल में जा पहुँचा. वह बुरी तरह से थक गया था. इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा. तभी उसकी नज़र एक लोमड़ी (Fox) पर पड़ी. उस लोमड़ी की एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी. लोमड़ी को देख आलसी आदमी सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी इस जंगली जानवरों से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ? जिज्ञासा में वह एक पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ बैठकर देखने लगा कि अब इस लोमड़ी के साथ आगे क्या होगा?

कछ ही पल बीते थे कि पूरा जंगल शेर (Lion) की भयंकर दहाड़ से गूंज उठा. जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे. लेकिन लोमड़ी अपनी टूटी टांग के साथ भाग नहीं सकती थी. वह वहीं खड़ी रही. शेर लोमड़ी के पास आने लगा. आलसी आदमी ने सोचा कि अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा. लेकिन आगे जो हुआ, वह कुछ अजीब था. शेर लोमड़ी के पास पहुँचकर खड़ा हो गया. उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था, जिसे उसने लोमड़ी के सामने गिरा दिया. लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी. थोड़ी देर बाद शेर वहाँ से चला गया |

यह घटना देख आलसी आदमी सोचने लगा कि भगवान सच में सर्वेसर्वा है. उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए, चाहे वह जानवर हो या इंसान, खाने-पीने का प्रबंध कर रखा है. वह अपने घर लौट आया. घर आकर वह 2-3 दिन तक बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा कि जैसे भगवान ने शेर के द्वारा लोमड़ी के लिए भोजन भिजवाया था | वैसे ही उसके लिए भी कोई न कोई खाने-पीने का सामान ले आएगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. भूख से उसकी हालात ख़राब होने लगी. आख़िरकार उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ा |

घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े. वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाते हुए वह बोला, “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध है. लेकिन इंसानों के लिए नहीं.” बाबा जी ने उत्तर दिया, “बेटा! ऐसी बात नहीं है. भगवान के पास सारे प्रबंध है. दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी. लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं.” |

👉शिक्षा:–
 हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है. बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कम समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं. स्वयं की क्षमता पहचानिए. दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए. इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें। 

कहानी#5- ✍🏻परहित का चिंतन✍🏻

   (Motivational Story In Hindi) 

एक राजा था जिसे शिल्प कला अत्यंत प्रिय थी। वह मूर्तियों की खोज में देस-परदेस जाया करता थे। इस प्रकार राजा ने कई मूर्तियाँ अपने राज महल में लाकर रखी हुई थी और स्वयं उनकी देख रेख करवाते। सभी मूर्तियों में उन्हें  तीन मूर्तियाँ  जान से भी ज्यादा प्यारी थी। सभी को पता था कि राजा को उनसे अत्यंत लगाव हैं। एक दिन जब एक सेवक इन मूर्तियों की सफाई कर रहा था तब गलती से उसके हाथों से उनमें से एक मूर्ति टूट गई। जब राजा को यह बात पता चली तो उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने उस सेवक को तुरन्त मृत्युदण्ड दे दिया। सजा सुनने के बाद सेवक ने तुरन्त अन्य दो मूर्तियों को भी तोड़ दिया। यह देख कर सभी को आश्चर्य हुआ। राजा ने उस सेवक सेदिनकारण पूछा,तब उस सेवक ने कहा – “महाराज !! क्षमा कीजियेगा, यह मूर्तियाँ मिट्टी की बनी हैं, अत्यंत नाजुक हैं। अमरता का वरदान लेकर तो आई नहीं हैं। आज नहीं तो कल टूट ही जाती अगर मेरे जैसे किसी प्राणी से टूट जाती तो उसे अकारण ही मृत्युदंड का भागी बनना पड़ता। मुझे तो मृत्यु दंड मिल ही चुका हैं इसलिए मैंने ही अन्य दो मूर्तियों को तोड़कर उन दो व्यक्तियों की जान बचा ली |

यह सुनकर राजा की आँखे खुली की खुली रह गई उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सेवक को सजा से मुक्त कर दिया। सेवक ने उन्हें साँसों का मूल्य सिखाया, साथ ही सिखाया की न्यायाधीश के आसन पर बैठकर अपने निजी प्रेम के चलते छोटे से अपराध के लिए मृत्युदंड देना उस आसन का अपमान हैं। एक उच्च आसन पर बैठकर हमेशा उसका आदर करना चाहिये। राजा हो या कोई भी अगर उसे न्याय करने के लिए चुना गया हैं तो उसे न्याय के महत्व को समझना चाहिये।

मूर्ति से राजा को प्रेम था लेकिन उसके लिए सेवक को मृत्युदंड देना न्याय के विरुद्ध था। न्याय की कुर्सी पर बैठकर किसी को भी अपनी भावनाओं से दूर हट कर फैसला देना चाहिये। राजा को समझ आ गया कि मुझसे कई गुना अच्छा तो वो यह सेवक था जिसने मृत्यु के इतना समीप होते हुए भी परहित का सोचा..!! राजा ने सेवक से पूछा कि अकारण मृत्यु को सामने पाकर भी तुमने ईश्वर को नही कोसा, तुम निडर रहे, इस संयम, समस्वस्भाव तथा दूरदृष्टि के गुणों के वहन की युक्ति क्या है। सेवक ने बताया कि आपके यहाँ काम करने से पहले मैं एक अमीर सेठ के यहां नौकर था। मेरा सेठ मुझसे तो बहुत खुश था लेकिन जब भी कोई कटु अनुभव होता तो वह ईश्वर को बहुत गालियाँ देता था । एक दिन सेठ ककड़ी खा रहा था । संयोग से वह ककड़ी कड़वी थी । सेठ ने वह ककड़ी मुझे दे दी । मैंने उसे बड़े चाव से खाया जैसे वह बहुत स्वादिष्ट हो । सेठ ने पूछा – “ ककड़ी तो बहुत कड़वी थी । भला तुम ऐसे कैसे खा गये ?”

तो मैने कहा – “ सेठ जी आप मेरे मालिक है । रोज ही स्वादिष्ट भोजन देते है । अगर एक दिन कुछ कड़वा भी दे दिए तो उसे स्वीकार करने में क्या हर्ज है।”

राजा जी इसी प्रकार अगर ईश्वर ने इतनी सुख–सम्पदाएँ दी है, और कभी कोई कटु अनुदान दे भी दे तो उसकी सद्भावना पर संदेह करना ठीक नहीं । जन्म, जीवनयापन तथा मृत्यु सब उसी की देन है

 असल में यदि हम समझ सके तो जीवन में जो कुछ भी होता है, सब ईश्वर की दया ही है । ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है..!! यदि सुख दुख को ईश्वर का प्रसाद समझकर संयम से ग्रहण करें तथा हर समय परिहित का चिंतन करे l 

कहानी#6- ✍🏻सलाह नहीं साथ चाहिए✍🏻

(Motivational Story In Hindi)

Motivational Story

एक बार एक पक्षी समुंदर में से चोंच से पानी बाहर निकाल रहा था। दूसरे ने पूछा भाई ये क्या कर रहा है। पहला बोला समुंदर ने मेरे बच्चे डूबा दिए है अब तो इसे सूखा कर ही रहूँगा। यह सुन दूसरा बोला भाई तेरे से क्या समुंदर सूखेगा। तू छोटा सा और समुंदर इतना विशाल। तेरा पूरा जीवन लग जायेगा। पहला बोला देना है तो साथ दे। सिर्फ़ सलाह नहीं चाहिए। यह सुन दूसरा पक्षी भी साथ लग लिया। ऐसे हज़ारों पक्षी आते गए और दूसरे को कहते गए सलाह नहीं साथ चाहिए। यह देख भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी भी इस काम के लिए जाने लगे। भगवान बोले तू कहा जा रहा है तू गया तो मेरा काम रुक जाएगा। तुम पक्षियों से समुंदर सूखना भी नहीं है। गरुड़ बोला भगवन सलाह नहीं साथ चाहिए। फिर क्या ऐसा सुन भगवान विष्णु जी भी समुंदर सुखाने आ गये। भगवान जी के आते ही समुंदर डर गया और उस पक्षी के बच्चे लौटा दिए।

आज इस संकट के समय में भी देश को हमारी सलाह नहीं साथ चाहिए। आज सरकार को कोसने वाले नहीं समाज के साथ खड़े हो कर सेवा करने वाले लोगों की आवश्यकता है ।इसलिए सलाह नहीं साथ दें।

 “जो साथ दे दे सारा भारत, तो फिर से मुस्कुरायेगा भारत। “ 

कहानी#7- ✍🏻चार शब्दों की उच्चतम प्रार्थना✍🏻

 (Motivational Story In Hindi)

एक जादूगर जो मृत्यु के करीब था, मृत्यु से पहले अपने बेटे को चाँदी के सिक्कों से भरा थैला देता है और बताता है की “जब भी इस थैले से चाँदी के सिक्के खत्म हो जाएँ तो मैं तुम्हें एक प्रार्थना बताता हूँ, उसे दोहराने से चाँदी के सिक्के फिर से भरने लग जाएँगे । उसने बेटे के कान में चार शब्दों की प्रार्थना कही और वह मर गया । अब बेटा चाँदी के सिक्कों से भरा थैला पाकर आनंदित हो उठा और उसे खर्च करने में लग गया । वह थैला इतना बड़ा था की उसे खर्च करने में कई साल बीत गए, इस बीच वह प्रार्थना भूल गया । जब थैला खत्म होने को आया तब उसे याद आया कि “अरे! वह चार शब्दों की प्रार्थना क्या थी ।” उसने बहुत याद किया, उसे याद ही नहीं आया ।

अब वह लोगों से पूँछने लगा । पहले पड़ोसी से पूछता है की “ऐसी कोई प्रार्थना तुम जानते हो क्या, जिसमें चार शब्द हैं । पड़ोसी ने कहा, “हाँ, एक चार शब्दों की प्रार्थना मुझे मालूम है, “ईश्वर मेरी मदद करो ।” उसने सुना और उसे लगा की ये वे शब्द नहीं थे, कुछ अलग थे । कुछ सुना होता है तो हमें जाना-पहचाना सा लगता है । फिर भी उसने वह शब्द बहुत बार दोहराए, लेकिन चाँदी के सिक्के नहीं बढ़े तो वह बहुत दुःखी हुआ । फिर एक फादर से मिला, उन्होंने बताया की “ईश्वर तुम महान हो” ये चार शब्दों की प्रार्थना हो सकती है, मगर इसके दोहराने से भी थैला नहीं भरा । वह एक नेता से मिला, उसने कहा “ईश्वर को वोट दो” यह प्रार्थना भी कारगर साबित नहीं हुई । वह बहुत उदास हुआ ।

उसने सभी से मिलकर देखा मगर उसे वह प्रार्थना नहीं मिली, जो पिताजी ने बताई थी । वह उदास होकर घर में बैठा हुआ था तब एक भिखारी उसके दरवाजे पर आया । उसने कहा, “सुबह से कुछ नहीं खाया, खाने के लिए कुछ हो तो दो ।” उस लड़के ने बचा हुआ खाना भिखारी को दे दिया । उस भिखारी ने खाना खाकर बर्तन वापस लौटाया और ईश्वर से प्रार्थना की, *”हे ईश्वर ! तुम्हारा धन्यवाद ।”* अचानक वह चोंक पड़ा और चिल्लाया की “अरे! यही तो वह चार शब्द थे ।” उसने वे शब्द दोहराने शुरू किए-“हे ईश्वर तुम्हारा धन्यवाद”……..और उसके सिक्के बढ़ते गए… बढ़ते गए… इस तरह उसका पूरा थैला भर गया ।

इससे समझें की जब उसने किसी की मदद की तब उसे वह मंत्र फिर से मिल गया । “हे ईश्वर ! तुम्हारा धन्यवाद ।” यही उच्च प्रार्थना है क्योंकि जिस चीज के प्रति हम धन्यवाद देते हैं, वह चीज बढ़ती है । अगर पैसे के लिए धन्यवाद देते हैं तो पैसा बढ़ता है, प्रेम के लिए धन्यवाद देते हैं तो प्रेम बढ़ता है । ईश्वर या गुरूजी के प्रति धन्यवाद के भाव निकलते हैं की ऐसा ज्ञान सुनने तथा पढ़ने का मौका हमें प्राप्त हुआ है । बिना किसी प्रयास से यह ज्ञान हमारे जीवन में उतर रहा है वर्ना ऐसे अनेक लोग हैं, जो झूठी मान्यताओं में जीते हैं और उन्हीं मान्यताओं में ही मरते हैं । मरते वक्त भी उन्हें सत्य का पता नहीं चलता । उसी अंधेरे में जीते हैं, मरते हैं ।

*ऊपर दी गई कहानी से समझें की “हे ईश्वर ! तुम्हारा धन्यवाद” ये चार शब्द, शब्द नहीं प्रार्थना की शक्ति हैं । अगर यह चार शब्द दोहराना किसी के लिए कठिन है तो इसे तीन शब्दों में कह सकते हैं, “ईश्वर तुम्हार धन्यवाद ।” ये तीन शब्द भी ज्यादा लग रहे हों तो दो शब्द कहें, “ईश्वर धन्यवाद !” और दो शब्द भी ज्यादा लग रहे हों तो सिर्फ एक ही शब्द कह सकते हैं, “धन्यवाद ।” आइए, हम सब मिलकर एक साथ धन्यवाद दें उस ईश्वर को, जिसने हमें मनुष्य जन्म दिया और उसमें दी दो बातें – पहली “साँस का चलना” दूसरी “सत्य की प्यास ।” यही प्यास हमें खोजी से भक्त बनाएगी । भक्ति और प्रार्थना से होगा आनंद, परम आनंद, तेज आनंद।

 

सोच बदल देगी ये 5 कहानियां (Motivational in Hindi by Him-eesh)

कहानी#8- ✍🏻धैंर्य हर लक्ष्य प्राप्ति में सफलता सुनिश्चित करता है✍🏻

           (Motivational Story In Hindi)

Motivational Story

अपनी सेना से बिछुड़कर शिवाजी एक ऐसी स्थान पर जा पहुँचे जहाँ दूर-दूर तक आबादी दिखाई न देती थी। कुछ अँधेरा हो चला था। तभी कुछ दूर पर उन्होंने दीपक का मन्द प्रकाश देखा। वे उधर गये और एक झोपड़ी के सम्मुख आ खड़े हुये। एक बुढ़िया बाहर आई और उन अभ्यागत को झोपड़ी के अन्दर ले गई। शिवाजी थके होने के साथ-साथ भूखे भी थे। बुढ़िया ने यह अनुभव कर लिया। उसने हाथ मुँह धोने के लिए गर्म पानी दिया और बैठने के लिए चटाई बिछा दी। शिवाजी हाथ-मुँह धोकर आराम से बैठ गये। कुछ हीं समय पश्चात बुढ़िया ने एक थाली में पकी हुई रोटियाँ परोस कर उनके सम्मुख रख दीं। शिवाजी असहनीय रूप से भूखे थे। तुरन्त रोटियों का बड़ा सा कौर भरा। तभी ओ माँ ! हाथ झटकने लगे। रोटियाँ बहुत गर्म थीं। बुढ़िया ने देखा तो बोली-”तू भी शिवा जैसे स्वभाव का मालूम होता है।” शिवाजी ने पूछा-”माता ! तूने शिवा से मेरी तुलना किस आधार पर की ?”  बुढ़िया बोली-”जिस प्रकार शिवा आस-पास के छोटे किले न जीकर बड़े-बड़े किले जीतने की उतावली करता है उसी प्रकार तूने भी किनारे-किनारे की ठंडी रोटियों को खाना शुरू न करके बीच में से बड़ा कौर भरकर हाथ जला लिया ! बेटा उतावली से काम बनता नहीं बिगड़ता है। मनुष्य की उन्नति के लिए छोटे-छोटे कदम बढ़ाते हुए सावधानी और धैर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उतावली के साथ बड़े-बड़े कदम उठाकर कोई बड़ा लक्ष्य नहीं पाया जा सकता। जिस दिन शिवा छोटे-छोटे किलों से अपना विजय-अभियान प्रारम्भ करेगा उसी दिन से उसे कभी पीछे हटने की आवश्यकता न होगी, और एक दिन ऐसा आयेगा जब वह अपने मनोनीत लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। शिवाजी ने बुढ़िया की सीख गाँठ बाँध ली, जिसके फलस्वरूप उन्होंने इतिहास में गौरव पूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया।

👉शिक्षा:-

इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि  किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उतावला न होकर जो धैर्यवान व्यक्ति दृढ़तापूर्वक धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं वे अवश्य सफल होते हैं। इसके विपरीत जो व्यक्ति छलाँग लगाकर जल्दी हीं लक्ष्य प्राप्त करने की जल्दबाजी करते हैं वे हमेशा असफल रहकर उपहास के पात्र बन जाते हैं इसी प्रकार आप भी अपने नेक्स्ट लेवल को अपना लक्ष्य बनाओ और उसे प्राप्त करने के लिए पूरी ताकत लगा दो । 

 

आशा नहीं पूर्ण विश्वास है अगर आपने पूरी कहानी को पढ़ा होगा Motivational Story In Hindi  तो, आपको कुछ नया जरुर सीखने को मिला होगा अथवा आपको कुछ सोचने को मिला होगा कि आप इस कहानियो के द्वारा आपने जीवन में क्या परिवर्तन ला सकते है | comment box में आपनी राय देना न भूले |

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