Rahim das [ रहीम दास का जीवन परिचय, रचनाये तथा भाषा शैली ]

 Rahim das एक प्रसिद्ध कवि और मुगल सम्राट अकबर के प्रसिद्ध शिष्यों में से एक थे। उनका जन्म 1556 में लाहौर में हुआ था, जो उस समय मुगल साम्राज्य का एक हिस्सा था। रहीम दास न केवल अपनी कविता के लिए बल्कि अपने प्रशासन कौशल के लिए भी जाने जाते थे क्योंकि उन्होंने मुगल दरबार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। वह अकबर के दरबार के नवरत्नों या नौ रत्नों में से एक था। यह जीवनी भारत के महानतम कवियों में से एक, रहीम दास के जीवन और उपलब्धियों को कवर करेगी।

रहीम दास जी के बारे में संक्षेप में जानकारी

नाम रहीम दास 
जन्म 1556
जन्म स्थान जन्म स्थान लाहौर, मुगल साम्राज्य (वर्तमान पाकिस्तान)
पिता जी का नाम बैरम खान
माता जी का नाम सलीमा सुल्तान बेगम
भाषा अवधी, ब्रज भाषा
रचनाये रहीम सतसई, रहीम कवितावली, श्रृंगार सतसई, रहीम चन्द्रिका
मृत्यु 1627
पूरा नाम अब्दुल रहीम-ए-खान खाना

प्रारंभिक जीवन काल और शिक्षा

रहीम दास का जन्म 17 दिसंबर सन 1956 में लाहौर (जो की वर्तमान में पाकिस्तान में है) मुग़ल साम्राज्य में हुआ था | इनके पिता का नाम  बैरम खान और माता जी का नाम सलीमा सुल्तान बेगम था, जो की मुग़ल दरबार में रहा करते थे । उनके पिता एक प्रसिद्ध सेनापति थे जिन्होंने अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान अकबर के प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया था। Rahim das ने अपनी शिक्षा मुगल दरबार में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने विभिन्न भाषाओं और साहित्य का अध्ययन किया। उन्हें हिंदी और उर्दू में विशेष रुचि थी और जल्द ही वे दोनों भाषाओं में पारंगत हो गए।

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साहित्यिक परिचय

रहीम दास ने मुगल सेना में एक सैनिक के रूप में अपना करियर शुरू किया, जहां उन्होंने एक बहादुर और कुशल योद्धा के रूप में अपनी ताकत साबित की। हालाँकि, उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि उनकी सच्ची पुकार कविता और साहित्य में थी। उन्होंने हिंदी में कविताएँ रचना शुरू कीं, जिन्हें बाद में “रहीम चालीसा” नामक पुस्तक में संकलित किया गया। पुस्तक को अभी भी हिंदी साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक माना जाता है।

रहीम दास की मातृभाषा हिंदी थी, इसलिए वे हिंदी साहित्य के ज्ञान में बहुत ही विशारद थे।रहीम दास के साहित्यिक कार्यों में “रहीम चालीसा” सबसे महत्वपूर्ण है। इस ग्रंथ में 40 छंदों में लिखे गए दोहे होते हैं। इन दोहों में रहीम दास ने विभिन्न विषयों पर बहुत ही सरल भाषा में संदेश दिए हैं। उनकी शैली बहुत ही सरल थी और उन्होंने अपने दोहों में व्यंग्य, प्रेरणा, नैतिकता, धर्म, स्वाभाविकता आदि के विषयों पर बहुत ही सरलता से चर्चा की है। रहीम दास की कविताएँ अपनी सादगी और नैतिक शिक्षाओं के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने अक्सर अपनी कविता में लोक कथाओं और आम मुहावरों का इस्तेमाल किया, जिससे लोगों को समझने और उनसे जुड़ने में आसानी हुई। उनकी कविताओं में एक मजबूत धार्मिक और आध्यात्मिक स्वर भी था, जो उनकी अपनी मान्यताओं और मूल्यों को दर्शाता था।

रहीम दास की उपलब्धिया

रहीम दास अपनी कविता के अलावा अपने प्रशासनिक कौशल के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने काबुल के गवर्नर सहित मुगल दरबार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वह अकबर का एक विश्वसनीय सलाहकार भी था, जो अक्सर शासन और शासन कला के मामलों पर उसकी सलाह लेता था। रहीम दास से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध घटनाओं में से एक ‘तानसेन समारोह’ की कहानी है। तानसेन एक प्रसिद्ध संगीतकार और अकबर के दरबार के दरबारी थे। वह अपने असाधारण गायन कौशल के लिए जाने जाते थे, और अकबर अक्सर उनके सम्मान में संगीत प्रतियोगिताओं का आयोजन करते थे। हालांकि, एक साल तानसेन बीमार पड़ गए और प्रतियोगिता को स्थगित करना पड़ा। रहीम दास ने सुझाव दिया कि प्रतियोगिता रद्द करने के बजाय उन्हें एक साहित्यिक प्रतियोगिता आयोजित करनी चाहिए। यह विचार अच्छी तरह से प्राप्त हुआ था, और साहित्यिक प्रतियोगिता एक बड़ी सफलता थी, जिसने ‘तानसेन समरोह’ की परंपरा को जन्म दिया।

व्यक्तिगत जीवन

Rahim das का विवाह मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बेटी माहबानू बेगम से हुआ था। इनके कई बच्चे हुए, जिनमें दो बेटे, अब्दुर रहीम खान-ए-खाना और दौलत अफज़ा शामिल थे, जो दोनों ही अपने आप में प्रसिद्ध कवि थे।

रहीम दास का 1627 में 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने कविता और साहित्य की एक ऐसी विरासत छोड़ी जो लेखकों और कवियों की पीढ़ियों को प्रेरित और प्रभावित करती रही है। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है, और उनकी कविता जनता के बीच लोकप्रिय है।

भाषा शैली

Rahim das ने अपनी कविताओं में सरल भाषा का उपयोग किया है | इसलिए वे जनता के बीच बहुत लोकप्रिय है | उनकी कविताएं सामाजिक और आध्यात्मिक विषयों पर आधारित होती थीं। उन्होंने अपनी कविताओं में भावुकता व प्रेम को संवाद के जरिए व्यक्त किया। वे जीवन के विभिन्न पहलुओं को अपनी कविताओं में व्यक्त करते थे। उन्होंने अपनी कविताओं में बाल मजदूरी, महिला सशक्तिकरण, समाज में समानता आदि विषयों पर व्यंग्य भी किया था।

उनकी शैली सरल, सुगम और स्पष्ट थी। उन्होंने अपनी कविताओं में सामान्य जनता के भावों को संवाद के जरिए व्यक्त किया था। उनकी कविताएं आसान भाषा में लिखी जाती थीं जो जनता के बीच बहुत ही लोकप्रिय थीं।

रहीम दास एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे जिन्होंने कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वह न केवल एक महान कवि थे बल्कि एक कुशल प्रशासक और अकबर के विश्वसनीय सलाहकार भी थे। उनकी कविता, जो उनके अपने विश्वासों और मूल्यों को दर्शाती है, आज भी लोगों को प्रेरित और प्रभावित करती है। रहीम दास को हमेशा भारत के महानतम कवियों में से एक और अकबर के सच्चे शिष्य के रूप में याद किया जाएगा।

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