What is blood in hindi |Types of blood | रक्त के बारे में सब कुछ जाने

आज के इस आर्टिकल में हम सब रक्त के बारे में जानेंगे | What is blood in hindi |Types of blood | What is blood in hindi | रक्त क्या है? | रक्त के प्रकार?रक्त के कार्य बताइए? इन सब प्रश्नों को विस्तार से जानेंगे |

What is blood

रक्त क्या है (What is blood)

रक्त को रुधिर या खून भी कहा जाता है | रुधिर एक लाल वाहक संयोजी ऊतक है | यह अपारदर्शी , चिपचिपा द्रव है | यह दो भागो से मिलकर बना होता है |

  1. प्लाज्मा
  2. रुधिर कणिकाए या रुधिर कोशिका

 (1) प्लाज्मा 

  प्लाज्मा पीले रंग का निर्जीव द्रव होता है | यह हल्का क्षारीय एवं चिपचिपा होता है | यह रुधिर के सम्पूर्ण आयतन का लगभग 55-66% होता है | प्लाज्मा में 90-92% जल, 1-2% अकार्बनिक लवण, 6-7% प्लाज्मा प्रोटीन एवं 1-2% अन्य कार्बनिक यैगिक पाए जाते है |

प्लाज्मा का कार्य

हमारे शारीर में प्लाज्मा के निम्नलिखित कार्य होते है |

  • इसका कार्य सरल भोज्य पदार्थो (ग्लूकोज, अमीनो अम्ल आदी) को आँत एवं यकृत से शारीर के अन्य भागो तक परिवहन करना है |
  • यह उपापचयी वर्ज्य पदार्थो जैसे -यूरिया, यूरिक अम्ल आदि का ऊतको से वृक्को तक उत्सर्जन हेतु परिवहन करता है |
  • यह रुधिर का PH man स्थिर रखने में सहायक है |
  • प्लाज्मा में उपस्थित रुधिर प्रोटीन एवं फाइब्रिनोजन जख्म अथवा क्षति पहुचने पर रुधिर का थक्का जमाने में सहायक है |
  • यह ऊतक द्रव्य का निर्माण करता है |

 

(2) रुधिर कणिकाए या रुधिर कोशिका

रुधिर कणिकाओ का प्रतिशत हिमेटोक्रिट मूल्य अथवा पैक्ड सेल वाल्यूम कहलाता है | मनुष्य में हिमेटोक्रिट अथवा पैक्ड सेल वाल्यूम 40-50%होता है | रुधिरकणिकाए मुख्यतः तीन प्रकार की होती है |

  1. लाल रुधिरकणिकए (RBCs) इरिथ्रोसाइटस
  2. सफ़ेद रुधिरकणिकए (WWBCs) ल्यूकोसाइटस
  3. रुधिर प्लेटलेट्स

A . लाल रुधिरकणिकए (RBCs)

  • ये स्तनधारियो के अलावा सभी कशेरुकियो में अंडाकार, द्विताल एवं केन्दकीय होती है |
  • RBCs की संख्या WBCs से अधिक होती है |
  • महिलाओं में RBCs की संख्या पुरुषों से कुछ कम होती है |
  • हेमरेज (Hemorrhage) एवं हिमोलासिस (Haemolysis) से RBCs की संख्या घट जाती है, जिसे रक्ताल्पता (Anemia) कहते है |
  • RBCs की संख्या सामान्य स्तर से अधिक वृद्धि पालीसाइथीमिया (Polycythaemia) कहलाती है |
  • गर्भस्थ शिशु में RBCs का निर्माण यकृत एवं प्लीहा में होता है | जबकि शिशु के जन्म के बाद RBCs का निर्माण मुख्यतः अस्थि मज्जा में होता है |
  • RBCs की अतरिक्त मात्रा प्लीहा में संगृहित होती है जो रुधिर बैंक की तरह कार्य करती है |
  • मनुष्य की RBCs का औसत जीवन काल 120 दिन तक होता है | जबकि मेढक एवं खरगोश की RBCs का जीवन काल क्रमशः 100 एवं 50-70 दिन तक होता है |

हिमोग्लोबिन  

   हिमोग्लोबिन के कारण रुधिर का रंग लाल होता है |

  • एक RBCs में लगभग 280 हिमोग्लोबिन अणु पाए जाते है |
  • वयस्क महिला में हिमोग्लोबिन 13.5 से 14.5% तथा पुरुष में 14.5 से 15.5% होता है |

हिमोग्लोबिन का कार्य

 हिमोग्लोबिन के निम्नलिखित मुख्य कार्य है-

  • हिमोग्लोबिन pH man को स्थिर करने में सहायक है |
  • हिमोग्लोबिन आक्सीजन का फेफड़ो से ऊतको तक परिवहन करता है |
  • हिम्ग्लोबिन ऊतको से फेफड़ो तक कार्बन डाइ-आक्साइड का परिवन करता है |

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B. सफ़ेद रुधिर कणिकाए (WBCs)

  यह गोल अथवा अमीबा के आकार का, केन्द्रकयुक्त, वर्णकविहीन कोशिका होती है | WBCs आकार में RBCs से बड़ी होती है | WBCs संख्या में RBCs से कम होती है | ल्यूकीमिया (रुधिर कैंसर) में RBCs की संख्या बढ़ जाती है |

ग्रेन्यूलोसाइडस (Granulocytes)- ये कोशिकाए लाल अस्थि मज्जा में बनती है | ये कुल ल्यूकोसाइडस की लगभग 65% होती है |

न्यूट्रोफिल्स (Neitrophils)- ये WBCs की कुल संख्या का लगभग 62% होती है | केन्द्रक 3 से 5 वाली युक्त होती है | इनका जीवनकाल 10-12 घंटे होता है | ये शरीर के रक्षक की भाति कार्य करती है |

बेसोफिल्स (Basophils)-इसे सयनोफिल्स भी कहा जाता है | इनका जीवनकाल 10-12 दिन का होता है | ये हिपेरिन एवं हिस्तैमाइन को श्रावित कर रुधिर का थक्का जमने से रोकती है |

एसिडोफिल्स (Acidophils)-   इनका जीवनकाल 14 घंटे का ही होता है | ये घावों को भरने में सहायक होती है |

एग्रेन्यूलोसाइटस (Agranulocytes)

यह कुल WBCs का लगभग 35% भाग होता है | इन्हे दो भागो में विभाजित किया जा सकता है |

  1. मोनोसाइटस (Monocytes)– ये सबसे बड़ी ल्यूकोसाइडस WBCs है | इनका निर्माण लिम्फनोड एवं प्लीहा में होता है | इनका जीवन काल कुछ घंटो से लेकर कई दिनों तक हो सकता है |
  2. लिम्फोसाइटस (Lymphocytes) – ये ल्यूकोसाइडस का लगभग 30% बनाती है | इनका जीवन काल 3-4 दिन तक होता है | ये एंटीबाड़ियो का निर्माण करती है इसलिए ये शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होती है |

C. रुधिर प्लेटलेट्स (Blood Platelets)

ये रंगहीन, अंडाकार,चक्रिक कोशिकाद्रव्यी भाग है | ये अकेंद्रकीय होती है | रुधिर में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी को थ्रोम्बोसाइटोपीनिया कहलाती है | इनका जीवकान काल लगभग एक सप्ताह होता है | ये रुधिर के जमने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |

रुधिर वर्ग / रक्त समूह 

  रुधिर वर्ग की खोज कार्ल-लैण्डस्टीनर ने की थी | कार्ल-लैण्डस्टीनर ने वर्ग A,B और O की खोज की थी | चौथे प्रकार के एवं बहुत कम पाए जाने वाले रुधिर वर्ग AB की खोज वान डीकास्टेलो एवं स्टेरले (1902) में की थी |

कार्ल-लैण्डस्टीनर (1900) ने दो प्रकार के प्रतिजनो प्रतिजन A एवं प्रतिजन B की खोज की |

प्रतिजन A एवं प्रतिजन B प्रोटीन न होकर म्यूकोपपालीसैकेराइड होती है | O रुधिर वर्ग वाले मनुष्य सर्वदाता कहलाते है  तथा AB रुधिर वर्ग वाले मनुष्य सर्वग्राही कहलाते |

Rh-कारक (Rh-factor)

 Rh कारक की खोज सर्वप्रथम रीसस बन्दर की RBC में लैण्डस्टीनर एवं वीनर (1940) ने की थी | Rh-कारक सहित मनुष्य Rh+ कहलाता है तथा Rh-कारक रहित मनुष्य Rh- कहलाता है | विश्व में लगभग 85% मनुष्य Rh+ होते है तथा 15% Rh- होते है | Rh-कारक केवल मनुष्य एवं रिसास बन्दर में पाया जाता है | अन्य जन्तुओं में इसकी खोज नहीं हो पाई है |

रुधिर का स्कंदन (Clotting of blood)

यह फाइब्रिनोजन के फाइब्रिन में बदलने के परिणाम स्वरुप होती है | फाइब्रिन अघुलनशील तंतुमय प्रोटीन है |

स्कंदन क्रिया में निम्नलिखित पद है-

  • थ्रोम्बोप्लास्टिन की मुक्ति
  • प्रोथ्राम्बिन की मुक्ति थाम्बिन में बदलना
  • फाइब्रिनोजन का फाइब्रिन में बदलना
  • रुधिर प्लेटलेट्स की क्रिया

रुधिर दाब (Blood pressure)

रुधिर द्वारा हृदय की बार-बार पम्पिंग के कारण रुधिर नलिकाओं की दीवारों पर पड़ने वाला दाब रुधिर दाब कहलाता है | रुधिर दाब को हमारे शरीर के कुछ स्थानों पर महसूस किया जा सकता है | जैसे हाथो की कलाई पर | उत्तेजित अवस्था में हृदय स्पंदन की दर बढ़ जाती है | सामान्य मनुष्य का रुधिर दाब 120/80 mmHg होता है | रुधिर दाब का मापन सर्वप्रथम हेल्स द्वारा घोड़े में किया गया था | रुधिर दाब को स्फिग्नोमैनोमीटर द्वारा मापा जाता है |

What is blood

रुधिर से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु

  • रुधिर एक लाल,वाहक संयोजी ऊतक है |
  • यह अपारदर्शी,चिपचिपा द्रव है |
  • रुधिर की श्यनता 4.7 है |
  • मनुष्य का रुधिर जल से 5 गुना अधिक चिपचिपा होता है |
  • रुधिर हल्का क्षारीय प्रकृति का होता है | जिसकी pH 36 से 7.54 तक होती है (औसत pH=7.4) |
  • रुधिर सम्पूर्ण शरीर का लगभग 6 से 10% बनता है |
  • एक वयस्क मनुष्य में लगभग 5.8 लीटर रुधिर पाया जाता है |
  • ऊँचे स्थानों पर रहने वाले लोगो में नीचे स्थानों पर रहने वाले लोगो की तुलना में अधिक रुधिर पाया जाता है यह अतिरिक्त रुधिर शरीर की कोशिकाओं में अधिक आक्सीजन पहुचता है |

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